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|रचनाकार=रति सक्सेना
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अधबने मकानों के बीच
 
खेलते बच्चे
 
अनजाने में खोज रहे हैं
 
अपने-अपने घर
 
अधलगी खिड़की की चौखट से
 
झाँक रहे हैं दुनिया के बाहर
 
बिना बनी छत पर
 
टांग रहे हैं अपना-अपना आसमान
 
मकानों के खोल में घुसने से पहले
 
घर की नींव को
 
भरने की कोशिश कर रहे हैं
 
खिलखिलाहटों से
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