Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=‘खावर’ जीलानी }} {{KKCatGhazal}} <poem> बस तेरे ल...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=‘खावर’ जीलानी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
बस तेरे लिए उदास आँखें
उफ़ मस्लहत ना-शनास आँखें

बे-नूर हुई हैं धीरे धीरे
आईं नहीं मुझ को रास आँखें

आख़िर को गया वो काश रूकता
करती रहीं इल्तिमास आँखें

ख़्वाबीदा हक़ीक़तों की मारी
पामाल और बद-हवास आँखें

दरपेश जुनूँ का मरहला और
फ़ाक़ा है बदन तो प्यास आँखें
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,887
edits