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{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}{{KKCatBhojpuriRachna}} 
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भोजपुरी
गोरिया के उठेलाहा छाती के जोबनवाँ
पिया के खेलवना रे होइ
</poem>
'''भावार्थ'''
गोरी के उरोज भी उभर आए हैं
अरे ये तो प्रियतम के लिए खिलौने बनेंगे !'
</poem>
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