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|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>चंदो
मेड़ी ऊपराकर
उचक’र
चानणी-चूंदड़ी
खोस लीनी
ओढ’र पसरग्या।</poem>