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मती ऊपाड़ो बीज / शिवराज भारतीय

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<Poempoem
बोझ ना समझो बापजी, बगसो ठंडी छांव
म्हैं भी करस्यूं जगत में, च्यारूं कुंटा नांव
बै मांया डाकण बणी, बाप कसाई जाण
गरभ मांय नुचवाय द्यै बाळकड़ी रा प्राण।
 </Poempoem>
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