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कूज़ा-ग़र / फ़रहत एहसास

No change in size, 13:44, 12 फ़रवरी 2014
मिरी मिट्टी ले
मेरा पानी ले
मीझे मुझे गूँध ज़रा
मुझे चाक चढ़ा
मुझे रंग-बिरंगे बर्तन दे
</poem>
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