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06:38, 11 मार्च 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
|अनुवादक=
|संग्रह=गीत जो गाए नहीं / गोपालदास "नीरज"
}}
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<poem>
अब तो मुझे न और रुलाओ!
रोते-रोते आँखें सूखीं,
हृदय-कमल की पाँखें सूखीं,
मेरे मरु-से जीवन में तुम मत अब सरस सुधा बरसाओ!
अब तो मुझे न और रुलाओ!
मुझे न जीवन की अभिलाषा,
मुझे न तुमसे कुछ भी आशा,
मेरी इन तन्द्रिल पलकों पर मत स्वप्निल संसार सजाओ!
अब तो मुझे न और रुलाओ!
अब नयनों में तम-सी काली,
झलक रही मदिरा की लाली,
जीवन की संध्या आई है, मत आशा के दीप जलाओ!
अब तो मुझे न और रुलाओ!
</poem>