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08:55, 19 मार्च 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=बुन्देली
}}
<poem>
राते बरस गओ पानी
काय राजा तुमने ना जानी।
अंटा जो भीजे अटारी भींजी,
भींजी है धुतिया पुरानी (काय राजा---)
बाग जो भींजे बगीचा भींजे
माँलिन फिरे उतरानी (काय राजा---)
कुंआ है भर गओ, तला है भर गओ
कहारिन फिरे बौरानी (काय राजा---)
गैयां भीजी बछिया भींजीं
नदियन बढ़ गओ पानी (काय राजा-- )
</poem>