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08:39, 2 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
|अनुवादक=
|संग्रह=चोखे चौपदे / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तो न वह करतूत है करतूत ही।
जो अँधेरे में न उँजियाली रखे।
तो निराली बात उस में न क्या रही।
जो न काली मूँछ मुँह लाली रखे।
</poem>