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05:37, 3 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>
व्यवस्था
एक कागजी नांव
उस पर सवार आदमी
चुप भी असहाय भी
जिसको छोड़ दिया गया है
धार में
</poem>
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