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Kavita Kosh से
समय ! धीरे धीरे चल ! <br><br>
कितने हैँ हैं बाकी काम अभी,<br>
कुछ तुझको भी है ध्यान ?<br>
सब तुझसे बँध बंध कर चलते हैँहैं<br>उन्हेँ उन्हें भी याद कर , नादान!<br>
ओ समय ! धीरे धीरे चल ! <br><br>
जो बिछडे साथी हैँ हैं उनका भी<br>
कर लिहाज धर बाँह सभी,<br>
भूखे, प्यासे मानव दल का,<br>
बनना होगा विश्वास अभी -<br>
ओ समय ! धीरे धीर धीरे चल!<br><br>
ना व्यर्थ गँवाना अपने को,<br>
शोर शराबे भरी गलियोँ मेँगलियों में,<br>जहाँ सिर्फ,खुमारी, रँग रेली रंगरेली हो,<br>
क्या उनसे ही हो बात सभी ?<br>
ओ समय ! धीरे धीर धीरे चल !<br><br>
तेरे लिये, जलाये आशा दीप,<br>
राह तकेँ तकें राजा रँकरंक, यही रीत!<br>तज पुरानी गाथाओँ गाथाओं के इतिहास,<br>रच आज कोई नव शौर्य गानशौर्यगान!<br>ओ समय ! धीरे धीर धीरे चल!<br><br>
इस पृथ्वी पट पर तू है,<br>
सँवार रे, नये बरस को,<br>
हो सुखमय, ये जग सारा!<br>
ओ समय ! धीरे धीर धीरे चल !