Changes

भीतर जीवन / विपिन चौधरी

752 bytes added, 08:28, 22 अप्रैल 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विपिन चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विपिन चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पौधे अपनी टहनियों के बल खड़े हो
धरती का खनिज सोख रहे थे

प्रेम,आत्मा के बूते
मुखर हो रहा था

डोल्फिन पानी के भीतर-बाहर
आ-जा कर प्राणवायु को लपकते दोहरी हुई जा रही थी

सीधे-सीधे कोई नहीं कह पा रहा था
उसे जीवन 'भीतर जीवन जीवन' की तलाश है
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits