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शायद के कुछ डरा है दर्द
यादों की तेज़ आँच में जल तप कर कहा, खरा है दर्द
राह-ए-वफा में 'श्रद्धा' बस
देखा, लिखा, पढ़ा है दर्द
</poem>
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