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क्यूँ चुप-चुप सा खड़ा है दर्द / श्रद्धा जैन

चुप-चुप सा क्यूँ खड़ा है दर्द
आँखों में जब हरा है दर्द

लोगों से मिलने-जुलने पर
कम होना था, बढ़ा है दर्द

पलकों की छत पे रुकता क्यूँ
शायद के कुछ डरा है दर्द

यादों की तेज़ आँच में
तप कर कहा, खरा है दर्द

राह-ए-वफा में 'श्रद्धा' बस
देखा, लिखा, पढ़ा है दर्द