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खो गया हूँ आज अपने जन्मदिन में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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03:01, 7 मई 2014
मनुष्य का अंतिम आशीर्वाद ले जाऊँ.
मेरी
झोलो
झोली
आज रिक्त है;
जो कुछ था देने योग्य,
सब दे चुका हूँ उसे झाड़कर .
पाऊँ यदि कुछ भी प्रतिदान में--
किंचित स्नेह, किंचित क्षमा--
Sharda suman
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