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{{KKRachna
|रचनाकार=संजय आचार्य वरुण
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>निजरां सूं कीं कीं कैवणौकैवणो
मूंडै सूं कीं
कैवण सूं बत्तो हुवै
असरदार
म्हैं सीखग्यौ.सीखग्यो।म्हैं जाणग्यौजाणग्योके कै रात रै अन्धारै मेंअंधारै मांयन्हायोङी न्हायोड़ी धरतीजे चन्दरमा चंदरमा सूं मांग लेवैमुट्ठी भर उजियाळौउजियाळोतो चन्दरमाचंदरमामूंडो फ़ेर’र मुंडो फेर’र खिसक जावै
अर घणी बार
बो वो चन्दरमाचंदरमा
दिन थकै आय धमकै
धरती री छाती परमाथैअणमांवतौअणमावतोउजियाळौ ले’रउजियाळो लेय’र।</poem>
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