962 bytes added,
07:04, 15 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मीराबाई
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBhajan}}
<poem>
प्यारे दरसन दीज्यो आय तुम बिन रह्यो न जाय॥
जल बिन कमल चंद बिन रजनी ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी।
आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन बिरह कालजो खाय॥
दिवस न भूख नींद नहिं रैना मुख सूं कथत न आवे बैना।
कहा कहूं कछु कहत न आवै मिलकर तपत बुझाय॥
क्यूं तरसावो अन्तरजामी आय मिलो किरपाकर स्वामी।
मीरा दासी जनम-जनम की पड़ी तुम्हारे पाय॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader