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अचल कवि (अच्युतानंद)

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|विविध=कृष्णकवि के पुत्र और कवि लक्ष्मीनाथ परमहंस के परमप्रिय शिष्य । 107 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। मिथिला-नरेश लक्ष्मीश्वर सिंह के दरबारी कवि थे। रायबहादुर लक्ष्मीनारायण सिंह (पंचगछिया)के प्रथम गुरू माने जाते हैं। मृदंगाचार्य और योगी के रूप में भी बड़ी ख्याति थी।
|जीवनी=[[अचल कवि (अच्युतानंद) / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Achal kavi (AchutanandAchyutanand)
}}
{{KKCatBihar}}
<sort order="asc" class="ul">==प्रतिनिधि रचनाएँ====
* [[विश्वव्याप्ति कमल मध्य विलसति है नीलवर्ण / अचल कवि (अच्युतानंद)]]
* [[हौ तूं भय हारणि दुःख विपति विदारिणी माँ / अचल कवि (अच्युतानंद)]]
* [[ / अचल कवि (अच्युतानंद)]]
</sort>
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