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04:49, 30 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=गगन गिल
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<poem>
एक दिन प्रेम आएगा तुम्हारे घर और घर में अन्न न होगा. एक दिन
प्रेम आएगा तुम्हारे जीवन में और भर चुके होंगे सब पन्ने. एक दिन
प्रेम आएगा तुम्हारे पास और तुम्हे मालूम न होगा,प्रेम है ये.
बदल गया होगा उसका मुख इस जन्म तक आते-आते.
थक गया होगा उसका सिर. भर चुकी होगी उसमें उम्र भर की नींद.
जाते हुए प्रेम देखेगा तुम्हें अजीब खाली आँखों से. मृत्यु के करीब
सपनीली हो जायेंगी उसकी आँखें. और गीली.
</poem>