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तुम सुखी रहो, संतृप्त रहो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 6 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(लावनी तर्ज दूसरी-ताल कहरवा)
Gayatri Gupta
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