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लड़की, नारी, स्त्री
इन नामो नामों से जानी जाती है
कई उपाधियाँ भी हैं
बेटी, पत्नी, माँ
अनेक रूपो रूपों मे नज़र आती है
पहले घर की रौशनी कहा
तो आँखो के नीचे काला स्याह क्यों ?
झूठा नाज़ बड़ा है
झूठा इसलिए कीकिउसकी संतान के लिंग निधारण मेनिर्धारण मेंउसका कोई योगदान नही नहीं है
तो क्या लड़की के पिता का
कोई स्वाभिमान नही नहीं है?
पिता का आँगन छोड़कर
कब किसने गीत गया था
पति के चले जाने के बाद
माथे की लाली मिटा दी लोगो लोगों ने
वो लाली जो उसके मुख का गौरव था
उसे कुलटा, मनहूस कहा
फिर राजा यज्ञ करवाएँगे
पुत्री रत्न पाने हेतु
राजकुमारियाँ सोने के पलनो पलनों मे पलेंगी
स्वयंवर रचाएँगी,
अपने सपनो सपनों के राजकुमार से
फिर द्रौपदी के पाँच पति होने पर
कोई सवाल ना कर सकेगा
"वस्तु" नही कहेगा
संवेदनशील इस चाह को
"तथास्तु" ही कहेगा ।कहेगा।
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