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Kavita Kosh से
दूध के दांत का टूटना
सतह पर पसरी दूबों के गले में
पुराने किस्से थे नानी के गांव के
ईख की धरदार पत्तियों के बीच डूबती
न उपजने का आधर थी
कई-कई सालों तक
चिंताएं घास चरने गई थीं उन दिनों
उन दिनों चमगादड़ों का चीखना