854 bytes added,
05:00, 21 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
|अनुवादक=
|संग्रह=पद-रत्नाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
(राग शिवरंजना-ताल कहरवा)
देखा करूँ तुहारी लीला, गाया करूँ तुहारा नाम।
सुना करूँ नित मुरलीकी धुन, वचन तुहारे परम ललाम॥
नेत्र-मधुप नित करें तुहारे वदन-कमल-मधु-रसका पान।
पूर्ण समर्पित हो जायें इन्द्रिय-तन, मन-मति, जीवन-प्रान॥
</poem>