Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
|अनुवादक=
|संग्रह=पद-रत्नाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार‎
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
(राग शिवरञ्जनी-तीन ताल)

नहीं करूँगा कभी किसी का अब तन-मन-धनसे अपमान।
सबमें सदा देख प्रभुको, मैं सदा करूँगा शुचि समान॥
परुष-व्यंग्य-निन्दा वचनोंका नहीं करूँगा मैं व्यवहार।
सदा करूँगा सबका सुधामयी हित-वाणीसे सत्कार॥
सबमें प्रभुके मैं अनुपम गुण-गण ही देखूँगा सब ओर।
नमन करूँगा मैं सबके पद-कमलोंमें, हो भाव-विभोर॥
प्राणि-पदार्थ सभी देंगे फिर मुझको नित्य परम आनन्द।
क्योंकि सभीमें दीख पड़ेंगे मुझे नित्य सत्‌‌-चित्‌‌ आनन्द॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits