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08:24, 28 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
कोई भूमि(का) नहीं
मरमर सिर्फ़
भिन्न लगे अभिन्न
भिनसारे तक
पदचाप में
अगेह
--जो मेरा प्राप्य है
चुन लूंगा--
देवनागरी को
पालागन
</poem>
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