Changes

पता है, त(लाश)-7 / पीयूष दईया

531 bytes added, 08:40, 28 अगस्त 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पीयूष दईया |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कक्ष में कोख
बेजान कोई

बूझ सका न बुझ ने में पा सका
बुझे बिना

लगता है, नाल वही
लगता है, शरीर वही
लगता है, जान वही

अभी, अब नहीं

सफ़ेदा

दूसरी ओर से
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits