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पता है, त(लाश)-7 / पीयूष दईया

कक्ष में कोख
बेजान कोई
   
बूझ सका न बुझ ने में पा सका
बुझे बिना

लगता है, नाल वही
लगता है, शरीर वही
लगता है, जान वही

अभी, अब नहीं

सफ़ेदा

दूसरी ओर से