733 bytes added,
11:08, 28 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
स्त्रियों से छल करना सीखना चाहिए
--चाणक्य
एक रूपसी से रसकेलि करते हुए
मेरे हाथ प्यार के सिवाय कुछ न लगा
सो मैं पलट आया
मरदाने तरह से
वक़्त को अपनी जेबों में डाले
आज़ाद
मेरी कल्पना में क़ातिल कला है
ख़़ूबसूरती
</poem>