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क़ातिल / पीयूष दईया

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स्त्रियों से छल करना सीखना चाहिए
--चाणक्य

एक रूपसी से रसकेलि करते हुए
मेरे हाथ प्यार के सिवाय कुछ न लगा
सो मैं पलट आया

मरदाने तरह से
वक़्त को अपनी जेबों में डाले
आज़ाद

मेरी कल्पना में क़ातिल कला है
ख़़ूबसूरती
</poem>
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