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|रचनाकार=आशुतोष दुबे
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जिस गन्ध में यह फूल खिला है
वह एक रंग की है
अपने कस्तूरी-रंग में डूबा हुआ
यह फूल उगता है मन की डाल पर
आप उसे दूर से पहचान लेते हैं
जो भीतर से महक रहा है इस रंग की गन्ध से
</poem>
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जिस गन्ध में यह फूल खिला है
वह एक रंग की है
अपने कस्तूरी-रंग में डूबा हुआ
यह फूल उगता है मन की डाल पर
आप उसे दूर से पहचान लेते हैं
जो भीतर से महक रहा है इस रंग की गन्ध से
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