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प्रिया-प्रानधन ललनवर, ललन-प्राननिधि बाल / स्वामी सनातनदेव
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10:50, 20 नवम्बर 2014
ते ही प्रियतम जुगलवर, मो जीवन सब काल॥1॥
मेरे मन के भामते ललित लाड़िली-लाल।
तिन की पद-रति पाय अब यह तनु
होत
होय
निहाल॥2॥
लली-ललन के वदन-विधु हों ये नयन चकोर।
निरखि-निरखि निरखन चहें, तकें न दूजी ओर॥3॥
Sharda suman
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