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तुव मुख-कमल-मधुप मोरे नैना / स्वामी सनातनदेव
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09:49, 24 नवम्बर 2014
या सुख में रचि-पचि अब प्रीतम! उनहिं और कोउ रसहुँ रुचैना॥4॥
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Sharda suman
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