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यूँ न रह रह के हमें तरसाइए / साग़र निज़ामी
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15:05, 18 जनवरी 2015
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|रचनाकार=
सागर
साग़र
निज़ामी
|अनुवादक=
|संग्रह=
ये हवा, 'साग़र' ये हल्की चाँदनी,
जी में आता है यहीं मर जाइए ।
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</poem>
Sharda suman
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