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यूँ न रह रह के हमें तरसाइए / साग़र निज़ामी
Kavita Kosh से
यूँ न रह रह के हमें तरसाइए ।
आइए, आ जाइए, आ जाइए ।
फिर वही दानिश्ता<ref>जान-बूझकर</ref> ठोकर खाइए,
फिर मिरे आग़ोश में गिर जाइए ।
मेरी दुनिया मुन्तज़िर है आपकी,
अपनी दुनिया छोड़ कर आ जाइए ।
ये हवा, 'साग़र' ये हल्की चाँदनी,
जी में आता है यहीं मर जाइए ।
शब्दार्थ
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