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चांद का मुँह टेढ़ा है / गजानन माधव मुक्तिबोध
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* [[इस चौड़े ऊँचे टीले पर / गजानन माधव मुक्तिबोध]]
* [[चम्बल की घाटी में / गजानन माधव मुक्तिबोध]]
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[[अंधेरे में / गजानन माधव मुक्तिबोध]]
'''(लम्बी कविता)
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Hemendrakumarrai