भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ससुर घर नीका लागै हो / बघेली

686 bytes added, 13:04, 20 मार्च 2015
'{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
{{KKCatBagheliRachna}}
<poem>
ससुर घर नीका लागै हो
अरे नीका लागै महराज हो
ससुर घर
नीका लागै हो कि
मोरे मइके के कलश देखायं हो
ससुर घर

जनकपुर नीका लागै हो
अरे नीका लागइ महराज हो
जनकपुर
जनकपुर नीका लागै हो
जहां सीता सहित भगवान हो
जनकपुर
</poem>