भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कमल नयन जबसे गये / बघेली

763 bytes added, 13:45, 20 मार्च 2015
'{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
{{KKCatBagheliRachna}}
<poem>
कमल नैन जब से गये तब से चित नहि चैन
व्याकुल जल बिन मीन है पल लागे नहि चैन

खबर न पायों श्याम की रहे मधुपुरी छाय
प्रीतम बिछुड़े प्रेम के कीजै कउन उपाय

उयं कुन्जैइ उंइं दु्रमलता उंइ पलास के पात
जा दिन ते बिछुड़े जदुनन्दन कोउ नहि आवत जात
</poem>