भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कमल नयन जबसे गये / बघेली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कमल नैन जब से गये तब से चित नहि चैन
व्याकुल जल बिन मीन है पल लागे नहि चैन

खबर न पायों श्याम की रहे मधुपुरी छाय
प्रीतम बिछुड़े प्रेम के कीजै कउन उपाय

उयं कुन्जैइ उंइं दु्रमलता उंइ पलास के पात
जा दिन ते बिछुड़े जदुनन्दन कोउ नहि आवत जात