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<poem>करती हवा बहुत शैतानी!बादल गरजे, धूम मची,दूर-दूर तक दौड़ लगातीगरमी बीती जान बची,इस पर उस पर धूल उड़ाती।आँखों में हरियाली है,यहाँ-वहाँ के कचरे लाकरबातों में खुशहाली है,बिखरा जाती घर-आँगन भर।बार-बार करती मनमानीबूँदों का स्वर ऐसा है,करती हवा बहुत शैतानीजैसे गुड्डी रानी का!मौसम आया पानी का!
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