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{{KKRachna
|रचनाकार=स्नेहमयी चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>किसने कहा था
खूंटा जो गड़ा है
उससे बंधी रस्सी के एक सिरे पर
कसकर गांठ बांध दो
दूसरे सिरे के गोल घेरे में
अपनी गरदन डाल दो
रस्सी तुड़ाकर भागो
लेकिन बार-बार वापस आ
उसी के आसपास घूमती रहो
कहना किसे है-ऐसे में
जब खुद अपनी ही कैद में
गिरफ्त हो ‘मैं’!</poem>
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|रचनाकार=स्नेहमयी चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>किसने कहा था
खूंटा जो गड़ा है
उससे बंधी रस्सी के एक सिरे पर
कसकर गांठ बांध दो
दूसरे सिरे के गोल घेरे में
अपनी गरदन डाल दो
रस्सी तुड़ाकर भागो
लेकिन बार-बार वापस आ
उसी के आसपास घूमती रहो
कहना किसे है-ऐसे में
जब खुद अपनी ही कैद में
गिरफ्त हो ‘मैं’!</poem>