भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कैद अपनी ही / स्नेहमयी चौधरी
Kavita Kosh से
किसने कहा था
खूंटा जो गड़ा है
उससे बंधी रस्सी के एक सिरे पर
कसकर गांठ बांध दो
दूसरे सिरे के गोल घेरे में
अपनी गरदन डाल दो
रस्सी तुड़ाकर भागो
लेकिन बार-बार वापस आ
उसी के आसपास घूमती रहो
कहना किसे है-ऐसे में
जब खुद अपनी ही कैद में
गिरफ्त हो ‘मैं’!