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होश करो ! / मधु आचार्य 'आशावादी'

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<Poem>यदि नहीं चाहता हो बदलना
तो इंकलाब के रास्ते पर
तुझे चलना होगा
आने वाली पीढ़ियों की खातिर
लड़ना होगा
होश करो लोगो, होश !
यदि अब भी नहीं आया होश
तो साफ सुन लिजिए-
इस दुनिया में
मेरे भाई तुम्हें
और आने वाली हमारी पीढ़ियों को
बेमौत करना होगा।

'''अनुवाद : नीरज दइया'''
</Poem>
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