भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होश करो ! / मधु आचार्य 'आशावादी'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यदि नहीं चाहता हो बदलना
तो इंकलाब के रास्ते पर
तुझे चलना होगा
आने वाली पीढ़ियों की खातिर
लड़ना होगा
होश करो लोगो, होश !
यदि अब भी नहीं आया होश
तो साफ सुन लिजिए-
इस दुनिया में
मेरे भाई तुम्हें
और आने वाली हमारी पीढ़ियों को
बेमौत करना होगा।

अनुवाद : नीरज दइया