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हमर सैन्य केर शक्ति अपार,
सहिने सकल क्यो एकर प्रहार।
 
सुनितहि विश्वामित्र ऋषि, नृपकेर वहकल बात।
ठाढ़ भए गेला क्रोधसँ, थरथर कपइत गात।
लक्ष्मण उठि बजला ततए, हमहु करब प्रस्थान।
राम जतए लक्ष्मण तए, नहि होयत व्यवधान।
 
ऋषिक संग चलता श्रीराम,
लखन सहित सिद्धाश्रम धाम।
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