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नई राह / राग तेलंग

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<poem>भूकंप से
सब उलट-पुलट हो जाने के बाद
चार पत्थर
राह पर पड़े हुए बातें कर रहे थे
एक ने कहा-
मैं मंदिर में था तब
दूसरे ने कहा-
मैं मस्जिद में
तीसरे ने कहा-
मैं गिरजाघर में
चौथे ने कहा-
मैं तो यहीं
जाने कब से
तुम सबकी प्रतीक्षा कर रहा हूं
चलो सब भूलकर
अब नई शुरूआत करते हैं
इसी राह के
मील के पत्थर बन जाते हैं ।

</poem>
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