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Kavita Kosh से
जब तारा देखा <br>
सद्यःउदित <br>
कभी क्षण-भर <br>
यह बिसर गया <br>
जब से प्यार किया, <br>
जब भी उभरा यह बोध <br>
कि तुम प्रिय हो-- हो— <br>सद्यःसाक्षात् हुआ-- हुआ— <br>
सहसा <br>
देने के अहंकार <br>
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