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|रचनाकार=मनोज पुरोहित ‘अनंत’
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
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<poem>
बगत साथै नीं
बगत सूं आगै बध
बगत रै पगां मत पड़
बगत सूं लड़।

ठाह है
तेज है बगत री रफ्तार
थूं ई उठा पग खाथा-खाथा
लांबा-लांबा भर डग
समझ बगत री रग
ताकतवर है बगत
कमजोर थूं ई कोनी
अड़ अर बगत सूं
साम्हीं छाती लड़ ।
</poem>
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