Changes

पंछी-एक / हरि शंकर आचार्य

888 bytes added, 16:21, 23 जनवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि शंकर आचार्य |संग्रह= मंडाण / नी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरि शंकर आचार्य
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
खुलै आभै मांय
मुगत उडतो पंछी
सै सीमावां
सै बंदिसां नैं तोड़’र
पूगावै
सांति अर भायलापणै रो सनेसो
जगत रै छोटै सूं छोटै जीव तांई।
आपरी अठखेल्यां रै मायाजाळ मांय
मिनख रै बणायोड़ी अबखायां सूं
डर्यै बिना पूगावै,
भेळप रो सनेसो
दसूं दिसावां री सांतरी जगावां तांई।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,492
edits