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महानगर: कुहरा / अज्ञेय

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उन अधर-टँके सब संसारों को<br>
एक कुंडली में, जिस पर<br>
होगा आसानआसन<br>
किस निराधार नारायण का?<br><br>
एक पिघलती सुलगन के घेरे में:<br>
ऊभ-चूभ कर<br>
पुनः डूबने को--को—<br>
चादर की ओट<br>
या कि गाड़ियों की<br>
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