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सोचने बैठे जब भी उसको / निदा फ़ाज़ली
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,
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|संग्रह=आँखों भर आकाश / निदा फ़ाज़ली
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
सोचने बैठे जब भी उसको
अपनी ही तस्वीर बना दी
सोचने बैठे जब भी उसको<br>
अपनी ही तस्वीर बना दी<br><br>
ढूँढ़ के तुझ में, तुझको हमने
<br>
दुनिया तेरी शान बढ़ा दी<
br
/poem
>
Sharda suman
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