भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दादी / अमरेन्द्र

108 bytes added, 03:17, 10 जून 2016
बोली बोलै रुकी-रुकी
कोसो बूलै झुकी-झुकी
 
दादी माय केॅ सूझै कम
ई बातोॅ केॅ बूझै कम ।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits